Tuesday 27 September 2011

आपकी राशि के अनुसार कौन सी माता का पूजन कैसे करें

28 सितंबर से मां दुर्गा की भक्ति का पर्व प्रारंभ हो रहा है। अत: इन खास दिनों में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए राशि अनुसार जानिए आपको क्या-क्या करना चाहिए...

मेष:इस राशि के लोगों को स्कंद माता की विशेष उपासना करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। स्कंदमाता करुणामयी हैं, जो वात्सल्यता का भाव रखती हैं।

वृषभ:वृषभ राशि के लोगों को महागौरी स्वरूप की उपासना से विशेष फल प्राप्त होते हैं। ललिता सहस्र नाम का पाठ करें। जन-कल्याणकारी हंै। अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

मिथुन:इस राशि के लोगों को देवी-यंत्र स्थापित कर ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए। साथ ही तारा कवच का रोज पाठ करें। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान प्रदाता, विद्या के अवरोध दूर करती हैं।

कर्क:कर्क राशि के लोगों को शैलपुत्री की पूजा-उपासना करनी चाहिए। लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें। भगवती की वरद मुद्रा अभय दान प्रदान करती हैं।

सिंह:सिंह राशि के लिए मां कूष्मांडा की साधना विशेष फल करने वाली है। दुर्गा मंत्रों का जाप करें। ऐसा माना जाता है कि देवी मां के हास्य मात्र से ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। देवी बलि प्रिया हैं, अत: साधक नवरात्र की चतुर्थी को आसुरी प्रवृत्तियों यानि बुराइयों का बलिदान देवी चरणों में निवेदित करते हैं।

कन्या:इस राशि के लोगों को ब्रह्मचारिणी का पूजन करना चाहिए। लक्ष्मी मंत्रों का साविधि जाप किया करें। ज्ञान प्रदान करती हुई विद्या मार्ग के अवरोधों को दूर करती हैं। विद्यार्थियों हेतु देवी की साधना फलदायी है।

तुला: तुला राशि के लोगों को  महागौरी की पूजा-आराधना से विशेष फल प्राप्त होते हैं। काली चालीसा या सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करें। जन-कल्याणकारी हैं। अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

वृश्चिक:वृश्चिक राशि के लोगों को स्कंदमाता की उपासना श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। वात्सल्य भाव रखती हैं।

धनु: इस राशिवालों को चंद्रघंटा की उपासना करें। संबंधित मंत्रों का यथाविधि अनुष्ठान करें। घंटा प्रतीक है उस ब्रह्मनाद का, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है।

मकर:मकर राशि के जातकों के लिए कालरात्रि की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। नर्वाण मंत्र का जाप करें। अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोप, अग्निकांड आदि का शमन करती हैं। शत्रु संहारक हैं।

कुंभ: कुंभ राशि वाले व्यक्तियों के लिए कालरात्रि की उपासना लाभदायक। देवी कवच का पाठ करें। अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोपों का शमन करती हैं। शत्रु संहारक।

मीन: मीन राशि के लोगों को चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए। हरिद्रा की माला से यथासंभव बगलामुखी मंत्र का जाप करें। घंटा उस ब्रह्मनाद का प्रतीक है, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है। 

नवरात्रि: घट स्थापना की विधि व शुभ मुहूर्त

माता दुर्गा की आराधना का पवित्र पर्व नवरात्रि का प्रारंभ 28 सितंबर, बुधवार से हो रहा है। पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट की स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है। माता दुर्गा व घट स्थापना की विधि तथा शुभ मुहूर्त का वर्णन इस प्रकार है-

पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर अपनी शक्ति के अनुसार बनवाए गए सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश की विधिपूर्वक स्थापित करें। कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति की प्रतिष्ठा करें।

मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिंदूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति आने की संभावना हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दें। मूर्ति न हो तो कलश के पीछे स्वस्तिक और उसके दोनों कोनों में बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु का पूजन करें। पूजन सात्विक हो, राजस या तामसिक नहीं, इस बात का विशेष ध्यान रखें।

नवरात्रि व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति का षोडशोपचार पूजन करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत निहित श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए।



घट स्थापना के शुभ मुहूर्त



सुबह  09:46 से दोपहर 12:00 बजे तक स्थिर लग्र वृश्चिक

सुबह 11:15 से दोपहर 12:37 तक शुभ

शाम  04:43 से 06:05 तक लाभ तथा 05:27 तक स्थिर लग्र में

शाम 07:43 से रात्रि 09:21 तक शुभ,  08:37 से स्थिर लग्र में

Monday 26 September 2011

दीपावली पर सिद्ध करें सम्रद्धिदायक मन्त्र

वर्तमान समय में जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता धन है। धन न हो तो जीवन का आनंद ही नहीं आता। ऐसे अनेक लोग होते हैं जो जीवन भर धन प्राप्त करने के लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी उनकी हर इच्छा पूरी नहीं होती। अगर आप चाहते हैं कि आपके पास धन की कोई कमी न हो तो नीचे लिखे मंत्र का विधि-विधान के अनुसार जप करें।



मंत्र

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं दारिद्रय विनाशके जगत्प्रसूत्यै नम:।।



जप विधि

1- दीपावली/अक्षय तृतीया या अन्य किसी शुभ मुहूर्त के दिन यह प्रयोग प्रारंभ करें।

2- इसके बाद प्रतिदिन अपनी इच्छानुसार इस मंत्र का जप करें।

3- जप के लिए कमलगट्टे की माला का उपयोग करें।

4- माला जपते समय सामने देवी लक्ष्मी का चित्र तथा शुद्ध घी का दीपक जलते रहना चाहिए।

5- 12 लाख मंत्र जप होने पर यह मंत्र सिद्ध हो जाता है।

Sunday 11 September 2011

गणेश चतुर्थी पर करें यह उपाय, दूर होगा कर्ज

- भाद्रपद माह की चतुर्थी से शुरु कर चतुर्दशी तक या किसी भी माह के बुधवार और चतुर्थी को यह उपाय श्रेष्ठ होता है।

- स्नान कर सफेद कपड़े पहनकर पूर्व दिशा में मुंह बैठे।

- सामने लकड़ी की चौकी पर सफे द कपड़ा बिछाकर उस पर अक्षत यानि चावल पर आंकड़े के गणपित यानि श्वेतार्क गणपति की स्थापना करे।

- गणपति की कुंकुम, चावल व मोली से पूजा करें व धूप-दीप करें। साथ गणपति को सिंदूर जरुर चढ़ाएं।

- इसके बाद मूंगे की माला से नीचे लिख मंत्र की 5 माला जप करें।



ऊँ नमो विघ्नहराय गं गणपतये नम: 



पूजा के बाद आंकड़े के गणपति और मूंगे की माला लाल कपड़े की पोटली में बांध गणपति मंदिर में गणेश जी के चरणों में रखकर घर लौटें।

यह उपाय कर्ज यानि लोन से जुड़ी तमाम परेशानियां तो दूर होती है, साथ ही आर्थिक तंगी और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है।

Tuesday 6 September 2011

Lalkitab remidies

to all my friends if any one of you want to get remedies of lal kitab than you can send me your email id' with following details
Your name
date of birth
Time of birth
place of birth
to the following email address:- dainikmantra@gmail.com
and please don't forget to share with Your friends

Friday 2 September 2011

पितृदोष और उसके उपाय

ये पितृदोष को दूर करने का एक बढिया उपाय है यह एक बार की ही पूजा है,और यह पूजा किसी भी प्रकार के पितृदोष को दूर करती है। सोमवती अमावस्या को (जिस अमावस्या को सोमवार हो) पास के पीपल के पेड के पास जाइये,उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये,पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये,और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये,हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये। परिक्रमा करते वक्त :ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करते जाइये। परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड और भगवान विष्णु के लिये प्रार्थना कीजिये और जो भी जाने अन्जाने में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है। 
एक और उपाय है कौओं और मछलियों को चावल और घी मिलाकर बनाये गये लड्डू हर शनिवार को दीजिये। पितर दोष किसी भी प्रकार की सिद्धि को नहीं आने देता है। सफ़लता कोशों दूर रहती है और व्यक्ति केवल भटकाव की तरफ़ ही जाता रहता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति माता काली का उपासक है तो किसी भी प्रकार का दोष उसकी जिन्दगी से दूर रहता है। लेकिन पितर जो कि व्यक्ति की अनदेखी के कारण या अधिक आधुनिकता के प्रभाव के कारण पिशाच योनि मे चले जाते है,वे देखी रहते है,उनके दुखी रहने का कारण मुख्य यह माना जाता है कि उनके ही खून के होनहार उन्हे भूल गये है और उनकी उनके ही खून के द्वारा मान्यता नहीं दी जाती है। पितर दोष हर व्यक्ति को परेशान कर सकता है इसलिये निवारण बहुत जरूरी है।


आने वाली सोमवती अमावस्यायें

23rd Jan. 2012
15th October 2012
11th March 2013.
8th July 2013
2nd December 2013
25th August 2014
22nd December 2014



Thursday 1 September 2011

टेढ़े गुरु के बुरे असर से बचाएंगे राशि अनुसार ये उपाय..

30 अगस्त को दोपहर से गुरु अपनी सीधी चाल बदल कर टेढ़ी चाल पर आ गया है।जिसे गुरु का वक्री होना भी कहा जाता है  फलस्वरूप विभिन्न राशियों  पर अलग अलग प्रभाव होगा 
 वक्री गुरु के उल्टे असर से बचने के लिए और सामान्य फल को शुभ बनाने के लिए राशि अनुसार उपाय करें। राशि अनुसार उपाय करने से आप पर गुरु का अशुभ असर कम हो जाएगा साथ ही अगर आपके लिए गुरु अच्छा फल देने वाला है तो आपके सभी काम पूरे होने लगेंगे।



गुरु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ये उपाय करें-

मेष- 43 दिनों तक प्रतिदिन एक तांबे का सिक्का नदी में प्रवाहित करें। चमत्कारिक परिणाम प्राप्त होंगे।

वृष- पीला रूमाल सदैव अपने पास रखें।

मिथुन- प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।

कर्क- घर में पीले रंग के फूल का पौधा लगाएं।

सिंह- प्रतिदिन विष्णु मंदिर जाएं और ब्राह्मण या अन्य किसी जरूरत मंद को धन का दान करें।

कन्या- गुरुवार का व्रत रखें।

तुला- भगवान विष्णु को गुड़-चने की दाल का प्रसाद अर्पित करें।

वृश्चिक- घी, दही, आलू और कपूर का दान करें।

धनु - किसी मन्दिर के पूजारी को भोजन कराएं।

मकर - पीली गाय को घास खिलाएं।

कुंभ - हल्दी एवं पीले चंदन से भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें।

मीन- केसर का तिलक लगाएं।

आपकी सभी समस्यओं का समाधान श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र

कृपया PAGE SECTION में देखें 
शीघ्र रामचरितमानस की राम शलाका प्रकाशित होगी देखतें रहें!

आपका अपना
सेवक