Saturday 1 October 2011

रविवार को स्कंदमाता व कात्यायनी के इन मंत्रों से करें पूजा...


इस बार नवरात्रि की पंचमी व षष्ठी तिथि एक साथ यानी 2 अक्टूबर, रविवार को होने के कारण इन दोनों तिथि को प्रमुख देवियों की पूजा इसी दिन की जाएगी।शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि की देवी स्कंदमाता व षष्ठी तिथि की देवी कात्यायनी हैं। इनके ध्यान मंत्र क्रमश: इस प्रकार हैं-

स्कंदमाता का ध्यान मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

अर्थात: मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप का नाम स्कंदमाता है। इनकी चार भुजाएं हैं। दाहिनी तरफ  की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं। दाहिने तरफ की नीची वाली भुजा में कमलपुष्प है। बाएं तरफ  की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा तथा नीचे वाली भुजा में भी कमलपुष्प है।



देवी कात्यायनी का ध्यान मंत्र

चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।

अर्थात: मां दुर्गा के छठें स्वरूप का नाम कात्यायनी हैं। इनका स्वरूप बहुत वैभवशाली, दिव्य और भव्य है। देवी कात्यायनी का वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला है। इनकी चार भुजाएं हैं। माताजी की दाहिनी ओर ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है।

No comments:

Post a Comment