Sunday 23 October 2011

दीपावली- धन प्राप्ति के लिए अचूक लक्ष्मी मंत्र

इस दीपावली(26 अक्टूबर, बुधवार) यदि आप महालक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो यहां एक अचूक मंत्र दिया जा रहा है, जो कि देवी लक्ष्मी को अति प्रिय है। धन प्राप्ति के लिए लक्ष्मी कृपा प्राप्त करना अति आवश्यक है। महालक्ष्मी की प्रसन्नता के बिना कोई भी धन प्राप्त नहीं कर सकता। दीपावली पर इस मंत्र का जप विधि-विधान से करें, वर्षभर आपको धन की कोई कमी नहीं होगी।



महालक्ष्मी मंत्र

ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ-आगच्छ ह्रीं नम:।



जप विधि

- इस मंत्र को दीपावली की रात कुंकुम या अष्टगंध से थाली पर लिखें। 

- महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के बाद इस मंत्र के 1800 या जितना आप कर सकें जप करें।

- इसके प्रभाव से आपको वर्षभर अपार धन-दौलत प्राप्त होगी। ध्यान रहे मंत्र जप के दौरान पूर्णत: धार्मिक आचरण रखें। मंत्र के संबंध में कोई शंका मन में ना लाएं अन्यथा मंत्र निष्फल हो जाएगा।

हनुमान जयंती 25 को करें यह टोटका, हर मनोकामना पूरी करेंगे हनुमान

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी(इस बार 25 अक्टूबर) को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार हनुमान जयंती का पर्व मंगलवार को होने से विशेष शुभ योग बन रहा है। यदि आपकी कोई मनोकामना लंबे समय से पूरी नहीं हो रही है तो इस शुभ योग पर नीचे लिखा टोटका करें। इस टोटके से हनुमानजी सपने में आकर साधक को मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। यह अनुष्ठान 81 दिन है।

विधि

हनुमान जयंती के दिन सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें। अब एक लोटा जल लेकर हनुमानजी के मंदिर में जाएं और उस जल से हनुमानजी की मूर्ति को स्नान कराएं। पहले दिन एक दाना उड़द का हनुमानजी के सिर पर रखकर ग्यारह परिक्रमा करें और मन ही मन अपनी मनोकामना हनुमानजी के सामने कहें और वह उड़द का दाना लेकर घर लौट आएं तथा उसे अलग रख दें।

दूसरे दिन से एक-एक उड़द का दाना रोज बढ़ाते रहें व यही प्रक्रिया करते रहें।

41 दिन 41 दाने रखकर बाद में 42 वें दिन से एक-एक दाना कम करते रहें। जैसे 42 दिन 40, 43 वें दिन 39 और 81 वें दिन 1 दाना। 81 दिन का यह अनुष्ठान पूर्ण होने पर उसी दिन रात में श्रीहनुमानजी स्वप्न में दर्शन देकर साधक को मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। इस पूरी विधि के दौरान जितने भी उड़द के दाने आपने हनुमानजी को चढ़ाएं हो उन्हें नदी में प्रवाहित कर दें। 

धनतेरस: इस यंत्र के पूजन से मिलेगी दुनिया की हर खुशी

कौन नहीं चाहता कि उसके पास अथाह धन-संपत्ति हो। उसे दुनिया के सारे ऐशो-आराम मिले। कभी किसी चीज की कमी न हो। अगर आप भी यही चाहते हैं तो इस चमत्कारी यंत्र के माध्यम से आपका यह सपना पूरा हो सकता है। यह चमत्कारी यंत्र है कुबेर यंत्र। स्वर्ण लाभ, रत्न लाभ, गड़े हुए धन का लाभ एवं पैतृक सम्पत्ति का लाभ चाहने वाले लोगों के लिए कुबेर यंत्र अत्यन्त सफलता दायक है। इस यंत्र के प्रभाव से अनेक मार्गों से धन आने लगता है एवं धन संचय भी होने लगता है। इस यंत्र की अचल प्रतिष्ठा होती है। धनतेरस(24 अक्टूबर, सोमवार) को इस यंत्र की स्थापना कर इसका पूजन करें।


यंत्र का उपयोग

विल्व-वृक्ष के नीचे बैठकर इस यंत्र को सामने रखकर कुबेर मंत्र को शुद्धता पूर्वक जप करने से यंत्र सिद्ध होता है तथा यंत्र सिद्ध होने के पश्चात इसे गल्ले या  तिजोरी में स्थापित किया जाता है। इसके स्थापना के पश्चात् दरिद्रता का नाश होकर, प्रचुर धन व यश की प्राप्ति होती है।



मंत्र

ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्य धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि में देहित दापय स्वाहा

Saturday 1 October 2011

रविवार को स्कंदमाता व कात्यायनी के इन मंत्रों से करें पूजा...


इस बार नवरात्रि की पंचमी व षष्ठी तिथि एक साथ यानी 2 अक्टूबर, रविवार को होने के कारण इन दोनों तिथि को प्रमुख देवियों की पूजा इसी दिन की जाएगी।शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि की देवी स्कंदमाता व षष्ठी तिथि की देवी कात्यायनी हैं। इनके ध्यान मंत्र क्रमश: इस प्रकार हैं-

स्कंदमाता का ध्यान मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

अर्थात: मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप का नाम स्कंदमाता है। इनकी चार भुजाएं हैं। दाहिनी तरफ  की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं। दाहिने तरफ की नीची वाली भुजा में कमलपुष्प है। बाएं तरफ  की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा तथा नीचे वाली भुजा में भी कमलपुष्प है।



देवी कात्यायनी का ध्यान मंत्र

चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।

अर्थात: मां दुर्गा के छठें स्वरूप का नाम कात्यायनी हैं। इनका स्वरूप बहुत वैभवशाली, दिव्य और भव्य है। देवी कात्यायनी का वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला है। इनकी चार भुजाएं हैं। माताजी की दाहिनी ओर ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है।